पानी में घर मीन का, काहे मरे पियास
आशा तो गुरुदेव की, दूजी आस निरास।
पानी में घर मीन का, क्यों मरे पियास।।
कबीर
वक्ता: मुदित जी का सवाल है कि, अष्टावक्र जैसे ज्ञानियों ने कहा है कि आशा ही परमम दुखम। और दूसरी ओर कबीर कह रहे हैं कि आशा तो गुरुदेव की, दूजी आस नीरास। ये बातें तो विरोधी लगती हैं। आशा, क्या आशा मन का विचलन नहीं है?और अगर है, तो फिर ये कैसी बात कि आशा तो गुरुदेव की।
मुदित जी आशा का दो तरफा आशय है। एक आशा होती है, एक कामना होती है कि और-और इकठ्ठा करता चला जाऊं, संसार से और ज़्यादा पाता चला जाऊं। ये पैदा होती है इस भाव से…