पाना और बाँटना ही है प्रेम
हम इतनी अजीब हालत में पहुँच चुके हैं कि जो सबसे क़रीबी है, हम उसी को नहीं जानते।
हमें दूर का बहुत कुछ पता है। तुमको बहुत अच्छे से पता है कि चाँद-सितारे क्या हैं और कैसे हैं। हम कभी मंगल ग्रह पर यान भेज रहे हैं, तो कभी चाँद पर। तुम पूरा जो ब्रह्मांड है, उसके आख़िरी छोर तक का पता लगा लेना चाहते हो, बस अपना ही पता नहीं है।
क्या है प्रेम?