पशु बलि का क्या अर्थ है? ग्रंथों और पुराणों की कथाओं को कैसे पढ़ना चाहिए?
आचार्य प्रशांत: बारहवाँ अध्याय।
देवी बोलीं — “देवताओं! जो एकाग्रचित्त होकर प्रतिदिन इन स्तुतियों से मेरा सत्वन करेगा, उसकी सारी बाधा मैं निश्चय ही दूर कर दूँगी।”
“जो मधुकैटभ का नाश, महिषासुर का वध तथा शुम्भ-निशुम्भ के संहार के प्रसंग का पाठ करेंगे तथा अष्टमी, चतुर्दशी और नवमी को भी जो एकाग्रचित्त हो भक्तिपूर्वक मेरे…