पशुओं का कोई आध्यात्मिक महत्व भी है?

पशुओं का कोई आध्यात्मिक महत्व भी है?

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। जैसे मैं लोगों को सामान्यतया सुझाव देता हूँ कि आप ए.पी. सर्कल में जुड़िए, वहाँ पर संस्था की क्लोज़ गतिविधियाँ होतीं हैं वो देखने को मिलतीं हैं। तो काफ़ी लोगों ने पूछा है कि आपकी संस्था में ये ख़रगोश क्या कर रहा है। साधारणतया लोग जैसे कुत्ते-बिल्ली पालते हैं या फिर इस तरीके के पेट्स रखते हैं। तो इसका कुछ आध्यात्मिक कोण भी है?

आचार्य प्रशांत: अरे भैया, वो सब रेस्क्यूड (बचाए गए) ख़रगोश हैं!

पहले उधर कैंचीधाम वगैरह में शिविर हुआ करते थे, आपमें से कुछ लोग वहाँ गए भी होंगे। तो वहाँ पर दो–तीन दफ़े ऐसा हुआ कि लोगों ने पाल रखे थे पर छोटे-छोटे पिंजरों में रखे हुए थे। तो वहाँ से हम इनको ले आए, इनको रेस्क्यू कराया था। ले आए तो उसके बाद अब ये यहाँ पलने लगे, जब पलने लगे तब इनके लिए एक लॉन बनाया गया; फिर लॉन बना तो इनके लिए एक घर भी बनाया गया। तो अभी वो घर में रहते हैं, लॉन में खेलते हैं।

तो ये है, बाकी कोई आध्यात्मिक महत्व नहीं है कि किसी का कोई विशेष; वैसा कुछ नहीं है।

अब तो इनसे बहुत पुराना नाता हो गया है न! जो पहले ख़रगोश आए थे, दो थे, उनका नाम रखा गया था ‘हनी’ और ‘बनी’; वो आए थे शायद दस साल पहले।

ये सचमुच लोग पूछते हैं कि ख़रगोशों का आध्यात्मिक महत्व क्या है?

(श्रोतागण हँसते हैं)

प्र: हाँ, कुछ कहते हैं कि जैसे रमण महर्षि के पास एक गाय आती थी उनको सुनने, तो क्या आचार्य जी के पास ख़रगोश भी आया करते हैं।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org