पता भी है कौन बचा रहा है तुम्हें?

अनदिनु साहिबु सेवीऐ अंति छडाए सोइ ॥
नितनेम (शबद हज़ारे)
आचार्य प्रशांत: “अनदिनु साहिबु सेवीऐ अंति छडाए सोइ”
दो बातें यहाँ पर, साफ़-साफ़ समझो। ‘अंत’ से यहाँ पर आशय, समय में अंत नहीं है। हम ‘अंत’ का मतलब समझते हैं — समय में आगे का कोई बिंदु। अंत से अर्थ है — ऊँचाई। अंत से अर्थ है — आख़िरी। अंत से अर्थ है — बड़े से बड़ा।