पढ़ाई के किसी विषय में रुचि न हो तो?

इंटरेस्ट या रुचि छोटी चीज़ होती है, सत्यता बड़ी चीज़ होती है।

अहंकार कहता है, “रुचि को प्रधानता दो।”
अध्यात्म कहता है, “धर्म प्रधान है।”

अध्यात्म का अर्थ ही है — रुचि की परवाह ही न करना, और उस तरफ चलना जिस तरफ धर्म है, जिधर सत्य है।

रुचि की तरफ चलना माने — वृत्तियों के चलाए चलना।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org