न सामाजिक न पशु

प्रश्नकर्ता: सर, जैसा कि हम जानते हैं — मनुष्य एक सामाजिक पशु है।

आचार्य प्रशांत: अविनाश, किस ने तुमसे कहा कि मनुष्य एक सामाजिक पशु है? क्या जब तुम पैदा हुए थे तब भी तुम्हारे मुंह से निकला था कि मनुष्य एक सामाजिक पशु है? निश्चित रूप से ये तुम्हारी अपनी चेतना से तो नहीं निकल रहा है। कहीं न कहीं तुम्हारे मन में ये बात ठूसी गयी है “मनुष्य एक सामाजिक पशु है।”

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org