न समर्थन, न विरोध
साधु ऐसा चाहिए, दुखै दुखावे नाहि।
पान फूल छेड़े नहीं, बसै बगीचा माहि।।
~ गुरु कबीर
आचार्य प्रशांत: कल रात में जो लोग साथ थे, उनसे एक बात कही थी कि ‘त्याग कहता है, ‘न सुख, न दुःख’ और बोध कहता है, ‘जब सुख, तब सुख और जब दुःख, तब दुःख’।
एक बार एक ज़ेन साधक से किसी ने पूछा कि जब सर्दी लगे, जब गर्मी लगे, तो क्या करें? सर्दी-गर्मी से मुक्ति का क्या उपाय है? तो ज़ेन…