न एकाग्रता, न नियंत्रण, मात्र होश
हम सबके मन संस्कारित हैं, हम सबके मन को एक आकार दे दिया गया है; उस सब पर कुछ रंग चढ़ा दिए गए हैं।
जैसे हमें संस्कार दे दिए गए हैं, वैसी ही हमारी एकाग्रता हो गई है।
तुम भूल कर रहे हो अगर तुम सोचते हो कि तुम एकाग्र नहीं हो सकते।
तुम गहरी-से-गहरी एकाग्रता को पाते हो, लेकिन उस एकाग्रता के विषय वही होते हैं, जो तुम्हें तुम्हारे संस्कारों ने सिखाए हैं।