न अच्छा न बुरा है संसार, समझ गए तो रास्ता, न समझे तो दीवार

आत्मज्ञान के अभाव में हमें नहीं पता कि हमें क्या चाहिए तो फिर हम गलत चीज़ों का सेवन करते रहते हैं।

जब तुम केन्द्रीय चीज़ को भूलकर के किसी बाहरी चीज़ को तवज्जो दे रहे हो तो फिर जीवन में भी तुम्हें कोई केन्द्रीय फल, आनंद नहीं मिलेगा।

सब दोष हैं, सब विकार हैं और नहीं उनको इतनी आसानी से त्यागा जा सकता। हम कहा कह रहें हैं कि तुम तुरंत ही अहंकारशून्य हो जाओ। गधे को राजा बनाया किसने? और गधा है तुम्हारा अपना अहंकार।

तुम एक अतृप्त चेतना हो, तुम एक छटपटाहट हो, तुम एक बंधक हो, तुम्हें आज़ादी चाहिए। गलत आदमी के हाथ में तुम बागडोर दोगे तो वो सब निर्णय तुमसे गलत ही करवा देगा ना? तुमने अपनी मान्यताओं, अपने आदर्शों, अपने अतीत, अपने विकारों को अपना शासक बना रखा है। गलत केंद्र से संचालित होओगे तो तुम्हारा कोई निर्णय क्यों सही हो जाएगा?

संसार ना अच्छा है, ना बुरा है। प्रश्न ये किया करो- किसके लिए अच्छा है? किसके लिए बुरा है? हर मादक पदार्थ अगर सही मात्रा में लिया जाए और सही व्यक्ति द्वारा लिया जाए तो वो दवा है। कोई भी चीज़ बुरी नहीं है संसार में। गौर से देखो तुम कौन हो फिर तुम वो सारे काम कर पाओगे जो तुम्हारे काम आए।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org