निश्छलता

मैं छुपाना जानता तो जग मुझे साधु समझता।
शत्रु मेरा बन गया है छल रहित व्यवहार मेरा।।
~ हरिवंशराय बच्चन
छल रहित होना कभी कमज़ोरी नहीं होती।
निश्छलता आती है इस गहरी आश्वस्ति के साथ कि मुझे छल, धोखा, चालाकी की ज़रुरत ही नहीं है। निश्छलता आती है अपनी आतंरिक ताकत के स्पष्ट आभास के साथ।