बनाने वाले ने हमें ऐसा क्यों बनाया?

आचार्य प्रशांत: देव जी पूछते हैं, आचार्य जी, प्रणाम। कई बार ये प्रश्न मेरे मन में उठता है, आज के सूत्रों से फिर उठ बैठा। सूत्र संख्या लिखी नहीं। आगे कहते हैं, हमारी इन्द्रियां बहिर्मुखी हैं, ये तो तथ्य है, इनका मूल स्त्रोत परमात्मा है, ये भी ठीक, और इन्द्रियों के माध्यम से हमें परमात्मा की ही तलाश है ऐसा आप समझाते हैं, मगर हम इन्द्रियों और मन के गुलाम हैं और इसमें भारी पीड़ा है। प्रश्न ये है कि फिर हमें ऐसा बनाया ही क्यों गया…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org