निडर होकर दुनिया का अनुभव कैसे करें?

प्रश्नकर्ता: डर जो होता है हमें हमेशा हो आउटवार्डली रखता है उसकी वजह से ये जो गहराई है यानी कि व्यवहार में एक तरह का संतुलन रहे, इधर के भी ज्ञान रहे और उधर का भी तब जा कर आप फिर एक तरफ के पूरी तरह से हो पाते हो (ऑल इन)

आचार्य प्रशांत: ऑल इन नहीं हो पाते हो, ये धारणा झूठी है! ‘डर’ भी तुमको पूरे तरीके से संसार का नहीं होने देता। ‘डर’ ही तो तुम्हें संसार का नहीं होने देता। संसार के प्रति तुम कोई भी…

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रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

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