नवरात्रि का वास्तविक अर्थ

इन नौ दिनों में, नवरात्रि में, शक्ति के नौ रूपों की पूजा बताती है हमको कि संसार के, जीवन के, समस्त रूप पूजनीय हैं। और वो बहुत कुछ धर्म के बारे में सिखा जाती है।

कहा गया है हमसे कि सत्य अरूप है, सत्य अचिंत्य है, निर्गुण, निराकार है, लेकिन जब आप शक्ति के नौ रूपों को पूजते हो तो आपसे उससे आगे की एक बात कही जाती है —

ऐसी बात जो ज़्यादा सार्थक, व्यवहारिक और उपयोगी है:

सत्य होगा अरूप, पर हम रूपों में जीते हैं।

सत्य होगा अचिंत्य, पर हम विचारों और भावों में जीते हैं।

सत्य होगा निराकार, पर हम आकार, रंग और देह में जीते हैं।

सत्य होगा असीम, पर हमारा तो सबकुछ सीमित है।

जिन्होंने असीम की पूजा शुरू कर दी, निर्गुण, निराकार को पकड़ने की चेष्टा कर ली, जिन्होंने ये कह दिया कि ये जो सब कुछ प्रकट और व्यक्त है वो तो क्षुद्र है और असत्य है, उन्होंनें जीवन से ही नाता तोड़ लिया। उनका मन बिल्कुल शुष्क और पाषाण हो गया।

अरूप तक जाने का एकमात्र मार्ग रूप है।

सत्य तक जाने का हमारे लिए एकमात्र मार्ग संसार है।

शिव के अन्वेषण का एकमात्र मार्ग शक्ति है।

जिन्होंने संसार से किनारा कर लिया, ये कह कर कि संसार तो सत्य नहीं है, उन्होनेे संसार को तो खोया ही, सत्य से भी और दूर हो गए।

शक्ति के नौ रूप बताते हैं हमको कि जीवन अपने समस्त रंगों में सम्माननीय है, प्यारा है, पूजनीय है।

आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

More from आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant