नयी दुनिया और पुराने तरीक़े

बिल्कुल नज़रिए में ही पूर्ण बदलाव की आवश्यकता है।

क्योंकि इतने सालों की, पिछले बीस-बाईस सालों के संस्कारों ने आपको बहुत डरा दिया है। आपको वास्तविक होने से, असली होने से डर लगने लग गया है। आपको किसी भी स्थिति में, एक कवच चाहिए जो आपकी सुरक्षा कर सके। निर्भय हो कर खड़ा होना, कि यहाँ, ये हूँ मैं, आश्वस्त और सुरक्षित और मैं स्वतः ही, सहजतापूर्ण आपके प्रश्नों के उचित उत्तर देने का समर्थ रखता हूँ, वो आपने बिल्कुल भुला दिया है। याद रखियेगा, खो नहीं दिया, सिर्फ़ भुला दिया है। जब चाहेंगे, दोबारा याद आ जायेगा। यह हमारी व्यवस्था का दोष है, कि अभी तक उसने हमको बहुत गलत किस्म के सन्देश दिए हैं। पर अब वो व्यवस्था ख़त्म होती है, आप एक नयी दुनिया में जा रहे हैं। यहाँ पर पुरानी व्यवस्था के नियम कायदे नहीं चलेंगे।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org