ध्यान में साँस और विचारों को देखना कितना सार्थक है?
2 min readMay 11, 2020
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तुम्हारे सामने इतनी चीज़ें हैं इनको देखते हो, जो स्थूल हैं, प्रत्यक्ष हैं। भ्रम तुम्हारे कहाँ हैं, भूत तुम्हारा कहाँ हैं और तुम देखने की कोशिश कर रहे हो सांस को, और कुछ नहीं है देखने को।
विचार सूक्ष्म हैं, स्थूल को देख लिया जिसको देखना सहज और आसान है। तुम्हारा कमरा गंदा है और तुम्हें वह गंदगी नहीं दिखाई दे रही है और तुम कह रहे हो मैं तो मन की गंदगी देखूंगा, मैं तो विचारों का…