ध्यान की विधियों के नाम पर बेईमानी

मुझे बेईमानी पसंद नहीं है। मैंने कभी भी तकनीकों को पूरी तरह नकार नहीं दिया, मुझे आपत्ति तकनीकों से कम, तकनीकों के पीछे बेईमान मन से ज़्यादा है।

ध्यान की विधियों का निर्माण इसलिए हुआ है ताकि तुम महीने भर इनको आजमा कर के जीवन में उतर पाओ और उस जीवन में कोई विधि, कोई तरीका काम नहीं आता, कोई सहारा काम नहीं आता। वहाँ तुम्हें हर चीज़ छोड़नी पड़ती है। ध्यान की विधियाँ बस इसलिए है कि तुम उन्हें एक-दो महीने करो और उनको त्याग दो, उनके आगे निकल जाओ। पर हमारी बेईमानी की कोई सीमा नहीं, हम डूबने से इतना डरते है कि वो विधि कभी छोड़ते ही नहीं। वो विधि ध्यान की नहीं है, वो विधि ध्यान के खिलाफ हमारी साजिश है, हम झूठ बोलते है जब हम कहते हैं कि वो मैडिटेशन तकनीक है, वो ध्यान के खिलाफ एक तकनीक है।

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मुझे ध्यान की विधियों से समस्या नहीं है, मुझे आदमी की बेईमानी से समस्या है। आदमी की बेईमानी सहारा बनाती है ध्यान की विधियों को, इसलिए मुझें उन विधियों के खिलाफ बोलना पड़ता है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org