ध्यान और योग से मिलने वाले सुखद अनुभव

प्रश्न: ध्यान और योग से मिलने वाले सुखद अनुभवों से मुक्त कैसे हों?

आचार्य प्रशांत: मुक्त क्या होना है। अपने आप को याद दिलाना है कि — जब उसकी छाया ऐसी है, तो वो कैसा होगा।

बड़ी गर्मी पड़ रही हो। तपती गर्मी, लू, जेठ माह की। मान लो यही महीना है, जून का। तुम चले पहाड़ों की ओर मैदानों की गर्मी से बचने के लिए, और जाना है तुमको दूर, ऊपर, रुद्रप्रयाग। पर रुड़की पार किया नहीं, हरिद्वार…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org