धार्मिक किताबें सीधी भाषा में क्यों नहीं होतीं?

आध्यात्मिक है अगर ग्रन्थ तो श्लोक से शुरु होता है और अनंत तक जाता है, श्लोक अपने आपमें एक पूरा विस्तार होता है। भाषा के तल पर वो तुमसे जुड़ा हुआ है, और अंत के तल पर, उद्देश्य के तल पर, लक्ष्य के तल पर, वो अनंत तक जाता है।
श्लोक समझ लिया का अर्थ होगा कि तुम श्लोक के अंत तक पहुँच गए और श्लोक का अंत तुम्हारा अपना अंत होता है तो तुम्हें कैसे पता चले कि तुमने श्लोक समझ लिया? अगर तुम अभी…