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धर्म-परिवर्तन बुरा लगता है?

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी, मेरा एक सवाल है। मैं, जो राष्ट्र के लिए काम करते हैं, ऐसे दो-तीन संगठनों से जुड़ा हूँ। और समाज में जो चल रहा है, सोशल-मीडिया पर चल रहा है, जो कन्वर्ज़न (धर्म-परिवर्तन) का काम चल रहा है ये, उससे न मेरे मन में काफ़ी प्रभाव पड़ता है। कुछ ऐसे स्टेट (प्रांत) हैं, जैसे जम्मू-कश्मीर है, मेवात है, इसमें पहले हिन्दू जनसंख्या कुछ और थी। पहले नब्बे प्रतिशत थी, अब उसको नब्बे से बदल कर दस कर दिया है, दस वाली नब्बे हो गयी है। तो इससे ज़्यादा प्रभाव पड़ रहा है, और मैं काफ़ी परेशान रहता हूँ, कि भाई हमारे पास समय कम है और हम काम कर नहीं पा रहे। और बाहर से फंडिंग भी होती है और कुछ प्रोपगेंडा (दुष्प्रचार) ही चलाया जा रहा है, कि भाई देश को कैसे झुकाया जाए। इस बारे में कृपया मार्गदर्शन दीजिए।

आचार्य प्रशांत: मैं क्या मार्गदर्शन दूँ, ये बात ही शर्म की नहीं है क्या? छोड़ो बाहर वालों को, मुझे नहीं पता फंडिंग होती है कि नहीं, मुझे नहीं पता कौन प्रोपगेंडा चला रहा है, मुझे नहीं पता कौन कन्वर्ट कर रहा है। मैं तुमसे पूछ रहा हूँ, अगर तुम नब्बे हो तो तुम कन्वर्ट होकर के दस कैसे हो गए? तुममें इतनी कमज़ोरी क्यों है?

कौन कर रहा है? कोई कर रहा होगा, उसकी ओर उँगली बाद में उठेगी, पहले अपनी ओर बताओ न! धर्म तो ऐसी चीज़ होती है कि कोई गर्दन पर तलवार रख दे, (फिर भी) नहीं छोड़ेंगे। माँ होती है धर्म, माँ को छोड़ दोगे क्या? शरीर को जो जन्म दे वो शारीरिक माँ है, और तुम्हारी सच्चाई को जो जन्म दे उसे धर्म कहते हैं। ये कौन-से लोग हैं जो धर्म छोड़ने को तैयार हो जाते हैं, पहले मुझे उनका नाम बताओ…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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