धर्म का वास्तविक अर्थ समझो!

जब आप धर्म से कटते हो,
तो आप जानते हो आप किन चीज़ों से कटते हो?

जब आप धर्म से कटते हो,
तब आप करुणा से कटते हो,
आप बोध से कटते हो,
आप प्रेम से कटते हो,
आप विवेक से कटते हो।
जो कुछ भी, जीवन को जीने लायक बनाता है,
वो सब खाली हो जाता है आपकी ज़िंदगी से
जब आप धर्म से कटते हो।

धर्म कोई यूँ ही फिजूल की चीज़ थोड़े ही है भाई?

मैं केंद्रीय धर्म की बात कर रहा हूँ।
मैं धर्म के बाहरी हिस्सों की बात नहीं कर रहा।
मैं सुबह चार बजे उठने और तिलक लगाने और
जनेऊ धारण करने और
फलाने पेड़ की पूजा करने और
फलाने कुलदेवता को पूजने की
बात नहीं कर रहा हूँ।
मैं उन सब चीज़ों की बात नहीं कर रहा हूँ।

जब मैं ‘धर्म’ शब्द का उपयोग करता हूँ
तो उसका एक बड़ा ठोस और सीधा अर्थ होता है,
बड़ा केंद्रीय अर्थ होता है।

उसका अर्थ होता है-
‘अहम’ की जाँच-पड़ताल और अहम से मुक्ति।
बस यही धर्म है और इसी का नाम अध्यात्म है।

--

--

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org