धर्म का क्या अर्थ?

धर्म का मतलब होता है वह धारणा रखना, जो तुम्हें समस्त धारणाओं से मुक्ति दे दे। तुमने अपने ऊपर यह जितने भी नाम रखे हैं जितने भी किरदार रखे हैं। कहा न अभी- माँ हूँ, बहन हूँ, पत्नी हूँ। यह धारणाएं हैं। जब तुम सो जाते हो तो क्या तुम किसी की माँ या किसी की पत्नी रहते हो? जब तुम चेतना के ही जागृत अवस्था में आ जाते हो, सिर्फ़ तभी यह ख्याल और स्मृति आते हैं न कि तुम किन्हीं विशेष किरदारों में हो? तो यह धारणाएं हैं, सत्य तो नहीं है। सत्य तो नींद के साथ नहीं मिट…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org