धन की क्या महत्ता है?

धन अकस्मात नहीं आ जाता।

धन आता है उसके पास जो दुनिया को समझता है।

धन कमाना एक कला है, जो माँग करती है कि आपमें जगत के दाँव-पेंचों की समझ हो। जो दुनिया को नहीं जानता, वो दुनिया में धन नहीं कमा सकता। और ‘दुनिया को जानने’ का अर्थ होता है — मन को जानना।

एक अच्छा व्यापारी, एक चतुर व्यापारी, बड़ी सहजता से अध्यात्म में प्रवेश कर जाएगा, क्योंकि उसने मन को जाना है। वो जानता है कि ग्राहक कैसे रीझता है, वो जानता है ‘मुनाफे’ का अर्थ। वो जानता है कि माल कहाँ से आता है, माल कहाँ को जाता है। वो जानता है कि हर चीज़ कहाँ से उठती है, और हर चीज़ का क्या अंजाम होता है। उसे पता है कि आदमी की दृष्टि किस चीज़ को मूल्य देती है, और किस चीज़ के पीछे पैसा खर्चने को तैयार हो जाती है।

वास्तव में ध्यान की ज़रुरत ही नहीं है, तुम इस दुनिया के चतुर व्यापारी बन जाओ बस। तुम जान लो क्या खरीदने लायक है, तुम जान लो क्या बेच देने लायक है। कैसा ध्यान? करोगे क्या ध्यान करके?

परमात्मा का ही तो विस्तृत रूप है संसार।

जो संसार को जान गया, वो परमात्मा में प्रवेश कर गया।

उलझता तो संसार में वही है न जो संसार को समझ नहीं पाया।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

More from आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant