दो सूत्र -अपने प्रति ईमानदारी, अपने प्रति हल्कापन

आचार्य प्रशांत: क्या चर्चा कर रहे थे आप लोग आरम्भ में?

प्रश्नकर्ता: मज़बूती और कमज़ोरी — ये द्वैत के दो सिरे हैं और किसी भी एक सिरे पर बैठ कर इन दोनों को समझा नहीं जा सकता है। सर ने ये बात बताई थी, यहाँ से शुरुआत होती है।

फिर मोहित जी (एक श्रोता) अपने जीवन के बारे में कुछ बता रहे थे कि कैसे मज़बूती और कमज़ोरी द्वैत के दो सिरे हैं, उसी तरह से चलते रहना और फिर फिसल जाना और ये जो पूरा इसका चक्रवात है, यह भी द्वैत का ही एक अंग है, तो इससे कैसे बाहर निकला जा सकता है। तो मोहित जी बता रहे थे कि जो इसमें है वो इससे कभी भी बाहर नहीं…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org