दो पल का उत्साह नहीं, लंबी पारी चाहिए

इसलिए मैं तो सलाह दिया करता हूँ कि बहुत उत्सुकता ही ना दिखाई जाए। जो एकदम गंभीर लोग हों, उनकी बात अलग है — और हो सकता है कि तुम गंभीर हो, उस बात का मैं सम्मान करता हूँ। लेकिन ज़्यादातर लोग ताँक-झाँक इत्यादि में ही रुचि रखते हैं। उनके लिए ये भी एक यूँ ही गॉसिप (गपशप) का मसला होता है, “कैसे रहते हो, क्या चलता है भीतर?”

विचार से जो ऊर्जा उठती है वो अकस्मात् होती है और इसीलिए क्षणिक होती है। बोध से जो…

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रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

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