दो जुमले जिनसे बचकर रहना है
प्रश्नकर्ता: नमस्कार आचार्य जी, थोड़े समय के लिए हम लोग पूरी तत्परता के साथ और ईमानदारी के साथ कुछ कर रहे होते हैं, और साथ-साथ ये भी होता है कि ज्ञान भी कम होता है और क्षमता भी कम होती है, तो प्रक्रिया धीमी होती है और फिर ऐसा भी हो जाता है कि अभी कम-से-कम तत्परता तो थी, फिर वो भी थोड़ा भटक जाता है आदमी, या ईमानदारी कहीं इधर-उधर हो जाती है तो ये एकदम ही शून्य हो जाता है। तो इसमें फिर निराशा भी आ जाती है कि अब दोबारा शून्य से शुरू करना…