दोस्त वो जो तुम्हें तुम तक वापस लाए
हम एक दुनिया में रहते हैं, जहां हमें चारों ओर दूसरे ही दूसरे दिखाई देते हैं। इन दूसरों में, कैसे जानूँ कि मेरे लिए हितकर कौन है। और जो ही हितकर है, उसी का नाम दोस्त हो गया। दोस्त कौन है? ये समझने के लिए पहले मुझे ये देखना पड़ेगा कि मेरा हित किसमें है? फिर जो मुझे मेरे हित की तरफ ले जाए, वही दोस्त हुआ।
तुम्हारा हित किसमें है, और तुम्हें प्रिय क्या है — ये दोनों बहुत अलग-अलग बातें हैं। तुम कभी अपना हित…