देहभाव के कारण ही डर और दबाव झेलते हो
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, मैं तो सच की राह पर ही चलना चाहता हूँ मेरे हिसाब से लेकिन परिवार वाले कहते हैं तुम ज़िम्मेदारी निभाओ मतलब जो भी सामाजिक दायित्व है उनको पूरा करो, फैमिली बनाओ।
आचार्य प्रशांत: उनको बोलो फिर तुम काहे के लिए हो? हम ही सब करेंगे कि तुम भी कुछ करोगे?
प्र: वह कहते हैं हमने अपनी ज़िम्मेदारी निभाई अब तुम्हें भी निभानी है।