देश की फ़िक्र!

प्रश्न: सर, हमारे देश में सभी प्रकार के संसाधन होते हुए भी हम विदेशी ताकतों पर निर्भर हैं — जैसे भाषा, प्राक्रतिक संसाधन, संस्कृति आदि।

वक्ता: तुम दूरदर्शन से आए हो? अरे अपने बारे में कुछ पूछ लो। ‘देश, प्राक्रतिक संसाधन, विदेशी ताकतें।’ अपने बारे में सवाल करो बेटा, देश का क्या अर्थ है? — तुम और मैं। देश माने क्या? उमेश जी (श्रोता को संबोधित करते हुए) बताएंगे, देश माने क्या?

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रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

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