देखो कि कौन-सी बातें करने से

सबसे ज़्यादा घबराते हो,

देखो कि किनके सामने नहीं पड़ते,

किनसे मुँह चुराते हो!

बिलकुल समझ जाओगे कि

कहाँ तुम्हारी खोट है,

बिलकुल समझ जाओगे कि

जीवन तुम्हारा उतना भी सुहाना नहीं चल रहा,

जितना तुमने अपने-आपको समझा रखा है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org