दूसरों को जान पाने का तरीका
स्वयं को जाने बिना दूसरे को नहीं जाना जा सकता। जो दूसरे को जान रहा है, वो आत्मज्ञानी ही होगा।
दूसरे को जान पाने, देख पाने, समझ पाने में हमसे इसीलिए भूल हो जाती है क्योंकि हमें ख़ुद का ही कुछ पता नहीं। दूसरे को देख पाने की यदि हममें योग्यता होती, तो हमने उसी योग्यता का उपयोग करके पहले ख़ुद को ही न देख लिया होता।
हमारी हालत ऐसी है कि हम कहें, “अपनी घड़ी में मुझे समय नहीं दिख रहा, आखें ख़राब हैं।…