दूसरों के सम्मान से पहले अपना सम्मान

प्रश्नकर्ता: आज सुबह के सत्र में चर्चा हुई थी भय और सम्मान के बारे में। उस चर्चा में कुछ लोगों का कहना था कि हम अपने अभिभावकों की बात इसलिए मानते हैं क्योंकि हमें उनसे भय है, और कुछ का कहना था कि हम उनकी बात इसलिए मानते हैं क्योंकि हम उनका सम्मान करते हैं। तो सर, हम कुछ भी क्यों करते हैं, भय के कारण या सम्मान के कारण?

आचार्य प्रशांत: अभिभावकों को छोड़ दो अभी। मामला उलझ जाता है क्योंकि वहाँ पर मोह है…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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