दूसरों की बुराई नहीं करनी चाहिए

प्रश्नकर्ता: कुछ दिन पहले आपका एक सत्र देख रहा था, उसमें अपने बोला था कि आज के साधक को संसार से उतना ख़तरा नहीं है, जितना समकालीन, आज के गुरुओं से है। मेरे कुछ दोस्त भी कुछ समकालीन गुरुओं के पास जाते हैं। कृपा करके इस विषय पर थोड़ा और प्रकाश डालें ताकि मैं भी इस बात को पूरा देख पाऊँ और दोस्तों तक भी पहुँचा पाऊँ।

आचार्य प्रशांत: क्यों बोलूँ इस विषय पर? दुनिया में इतना कुछ है जिस पर बोला जा सकता है और जिस पर बोला जाना चाहिए। मैं वो सब छोड़ करके इस मलिन विषय को क्यों उठाऊँ?

पहले तो ज़िंदगी ही छोटी-सी, फिर उस छोटी-सी ज़िंदगी में इन सत्रों का समय और थोड़ा-सा। उस छोटे से समय में मैं सच्चाई की बात करूँ, सौंदर्य की बात करूँ, प्रेम की बात करूँ, परमात्मा की बात करूँ, या ढोंगी गुरुओं की बात करूँ? तुम क्यों मेरा मुँह गंदा कराना चाहते हो? और मैं क्या प्रकाश डालूँ, जानते नहीं हो क्या?

मेरा काम है सच्चाई की बात करना। तो बस यही कसौटी है –

जहाँ पाओ कि किसी-न-किसी तरीक़े से, किसी-न-किसी तर्क से, किसी भी चाल या किसी भी विधि से, किसी भी कारण से अंधेरे की पैरवी हो रही है, वहाँ से बच लेना।

निंदा करने का लोभ बड़ा है, लेकिन मेरे पास निंदा से भी आगे का कुछ है। मैं जिसकी बात कर रहा हूँ, वो इतना सुंदर है, इतना प्यारा है, इतना रसीला है कि मैं उसकी बात छोड़ करके मल की, गंदगी की बात क्यों करूँ? बोलो।

मुझे समय मिलेगा तो मैं कबीर साहब के भजन गाऊँगा, मुझे समय मिलेगा तो मैं प्रेम में बिताऊँगा।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org