दूसरों की बातें बुरी लगती हो तो
हम दूसरों पर तमाम तरह से आश्रित होते हैं इसीलिए उनकी बातों से, उनके रवैये से हम बहुत प्रभावित हो जाते हैं। दूसरों की बातें सुनकर हमें बड़ी चोट भी लग जाती है और हम फूलकर कुप्पा भी हो जाते हैं।
निंदा और स्तुति दोनों हमारे लिए बड़े अर्थपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि हम दूसरों पर आश्रित हैं।
हम दूसरों पर रुपये-पैसे के लिए ही नहीं, मान-सम्मान के लिए भी आश्रित होते हैं। जो दूसरों पर आश्रित…