दूसरे को अपना बोझ मत बनने दो

प्रश्नकर्ता (प्र): क्या मेरा हल्का होना सामने वाले को पता चलेगा?

आचार्य प्रशांत: यही बोझ है।

प्र १: सर, मैं इसलिए पूछ रही हूँ…

आचार्य: हम्म हम्म हम्म.. मत पूछो! यही बोझ है। सामने वाला ही तो बोझ है ना! ये विचार भी कि — “मेरे हलके होने से क्या सामने वाले को पता चलेगा” — इस क्षण तुम्हें ये विचार आ कैसे सकता है?

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org