दूसरे की चिंता करते रहने को प्रेम नहीं कहते

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, अपनों को खो देने का डर हमेशा लगा रहता है। पति को, या बेटे को कुछ हो न जाए, ये विचार हमेशा मन में चलता रहता है। इसी से जुड़ा एक और प्रश्न फिर मन में उठता है, कि क्या खुशकिस्मती और बदकिस्मती जैसा कुछ होता है? कृपया मार्गदर्शन करें।
आचार्य प्रशांत: आपने तीन-चार प्रश्न पूछे, इन सबको लेकर मेरे पास एक ही प्रश्न है — आपके पास करने के लिए कुछ नहीं है क्या? अपने-आप को लेकर…