दुनिया मुझ पर हावी क्यों हो जाती है?
प्रश्नकर्ता: सर, मैंने देखा है कि मेरी ख़ुशी, दुसरे मेरे बारे में क्या सोचते हैं, उसपर निर्भर करती है। ऐसा क्यों होता है?
आचार्य प्रशांत: और क्या हो सकता है? क्या तुम्हें और कुछ होने की भी उम्मीद है?
प्र: हाँ, सर।
आचार्य: क्या उम्मीद है?
प्र: सर, ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि मुझे फ़र्क न पड़े कि कोई मेरे बारे में क्या कह रहा है।