दुनिया की मक्कारी हट सकती है क्या?
छल-कपट का एकमात्र इलाज़ अध्यात्म ही है।
कोई भी व्यक्ति कुटिलता और धूर्तता करता क्यों है? उसे लगता है कि कुछ उसे चाहिए और वह सीधे तरीके से नहीं मिल पा रहा है, तब वह कुटिलता और धूर्तता का उपयोग करता है।
“हर कुटिलता के मूल में इच्छा बैठी होती है।”
सबसे हैरानी की बात ये है कि उसे अपनी सबसे गहरी मूल इच्छा के बारे में पता नहीं है नहीं तो अध्यात्म की ओर प्रवेश स्वतः ही हो जाएगा। सबसे गहरी इच्छा है अपनी मूल बेचैनी से पार पाना और वो तो अध्यात्म से ही हो सकती है।
यदि आपकी उच्चतम चाहत ही पूरी हो जाए, तो आप कुटिलता और धूर्तता करेंगे ही क्यों?
जब हम अपनी मूल बेचैनी की वज़ह नहीं जान पाते तो कई तरह की बीमारियाँ जन्म लेती हैं और उनमें से ही एक है छल-कपट। छल-कपट न तो नैतिकता से मिटेगा और न ही दुनिया के नियमों से। मनुष्य को उसके मन का हाल दिखाना होगा।
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