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दुनिया का सबसे बड़ा झूठ है- मजबूरी!

हम अपने आपको बहुत कमज़ोर समझते हैं। हम भूल गए हैं कि चुनाव का हक हमें है। हम भूल गए हैं कि विवेक की ताकत हमारे पास है।

कोई छोटी-सी चीज़ आती है, हमारे ज़हन पर छा जाती है और हम कहते हैं “हम तो मजबूर हैं।” हम भूल गए हैं कि घटनाएँ सारी बाहर घटती हैं। भीतर आपका एकछत्र स्वामित्व होता है। भीतर के बादशाह आप हो।

बाहर की घटना, भीतर हलचल तब तक नहीं मचा सकती जब तक आप उसको ‘अनुमति’ न दो।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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