दुःख में याद रहे, सुख में भूले नहीं
दुःख में सुमिरन सब करै, सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करै, तो दुःख काहे को होय।।
संत कबीर
प्रश्न: आपने कई बार कहा है कि सुख, दुःख अलग-अलग नहीं, पर यहाँ पर कबीरदास कहते हैं कि सुख के क्षणों में याद करने से दुःख से बचना हो जाएगा। उसका आशय क्या है?