दुःख मिले तो और ज़ोर से

दौड़ मत लगाओ सुख की तरफ़।

पहले ये तो पूछ लो कि

किसकी तरफ़ दौड़ लगा रहा था

जो दुख मिला?

पता चलेगा

सुख की तरफ़ ही दौड़ लगा रहे थे

जो दुःख मिला।

अगर सुख की तरफ़

दौड़ लगाने से दुख मिलता है

तो दुःख पाने पर सुख की तरफ़

और ज़्यादा तेज़ी से दौड़ने से क्या मिलेगा

सुख या और दुख?

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org