दुःख का सदुपयोग करो

दुःख आए तो उस घटना को, उस उद्वेग को, व्यर्थ मत जाने दो। दुःख का ही प्रयोग कर दो, दुःख के मूल को काटने के लिए।

जैसे साँप के ज़हर का इस्तेमाल होता है, साँप का ज़हर उतारने के लिए। और कोई तरीका भी नहीं है दुःख को काटने का, हमेशा कहा है मैंने।

मुक्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन दुःख ही है।

अब या तो दुःख को अभाग समझ कर कलप लो, या दुःख को लपक लो। बताओ कलपना है, या लपकना है? मैं कहता हूँ लपक लो।

दुःख बारूद है, उसका इस्तेमाल करो।

जो कुछ सब जीर्ण-शीर्ण, फटा-पुराना, अनावश्यक है, ढहा दो उसको।

करो विस्फ़ोट!

ये बेचैनी, बेकरारी, बेसबब नहीं होती।

कभी बहुत पहले मैंने कहा था, “पीड़ा परम का पैगाम होती है।” पैग़ाम आया है, उसको पढ़ो। रोना-पीटना बहुत हुआ। आँसूँ पोंछो, साफ़ -साफ़ पढ़ो क्या कहा जा रहा है।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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