दिल दिमाग से अलग नहीं

आचार्य प्रशांत: दिल से कोई फैसला नहीं आता है, दिल से सिर्फ खून आता है। जो कुछ होता है यही मस्तिष्क होता है, दिल जैसा कुछ होता नहीं है। ये सुनकर तुम्हें धक्का लगेगा। हमने तो दिल को ही सर्वोपरि जाना था। दिल कुछ नहीं होता, मन के ही टुकड़े हैं। जो ये बात है कि दिमाग से सोचोगे तो सफलता मिलती है, दिल से सोचोगे तो संतुष्टि मिलती है, वो भी गलत है। ये दोनों अलग है ही नहीं। तुमने दो टुकड़े कर दिए हैं कि जो सफल है, वो संतुष्ट नहीं और जो संतुष्ट है, वो सफल नहीं।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org