दशहरा, और रावण के दस सिर
प्रश्नकर्ता: सर, अभी दशहरा आ रहा है और हर साल हम दशहरा मनाते आ रहे हैं लेकिन दशहरा का वास्तविक अर्थ क्या है?
आचार्य प्रशांत: जिसके दस सिर वही रावण। रावण वो नहीं जिसके दस सिर थे। जिसके ही दस सिर हैं, वही रावण। और हम में से कोई ऐसा नहीं है जिसके दस, सौ, पचास, छः हज़ार सिर ना हों। दस सिरों का अर्थ समझते हो? एक ना हो पाना, चित्त का खंडित अवस्था में रहना। मन पर तमाम तरीके के प्रभावों का होना और हर प्रभाव एक हस्ती बन जाता है। वो अपनी एक दुनिया बना लेता है। वो एक सिर, एक चेहरा बन जाता है इसीलिए हम एक नहीं होते हैं।