दर्द आज है, दवा अगले जन्म में चाहिए

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, कई बार हमें समझाया जाता है कि जो इस जन्म में परमात्मा को पा लेता है वही बुद्धिमान पुरुष है, तो इसी जन्म में उसे पा लो। इसमें जो जन्म की बात की जा रही है तो क्या अगला जन्म भी होता है? इस विषय में थोड़ा समझाइए।

आचार्य प्रशांत: यह तो सहज ही और बिल्कुल प्रकट बात है- तुम्हें तकलीफ अभी है, तुम उसको अगले जन्म में मिटाओगे क्या? सारा अध्यात्म क्यों है? तुम क्यों किसी भी तरह की साधना कर रहे हो? तुम्हें कोई भी ज्ञान क्यों चाहिए? क्या तुम आनंद में हो? विश्राम में हो? सहज हो? अगर हो तो घर जाओ, जंगल जाओ, जन में जाओ, वन में जाओ, कुछ भी करो सब ठीक है।

बिल्कुल मूलभूत बात पूछ रहा हूँ- पहली बात। कोई ये सब क्यों करे? उपनिषद क्यों पढ़े भाई? कोई दैवीय आज्ञा तो है नहीं कि पैदा हुए हो तो उपनिषद पढ़ने ही पड़ेंगे। क्यों आओ उपनिषद की तरफ? उपनिषदों की तरफ हम इसलिए आते हैं क्योंकि हम कष्ट में हैं। उस कष्ट का अनुभव तुम्हें कब हो रहा है? अभी। तो उसका समाधान तुम अगले जन्म में ढूंढोगे क्या? कि अभी अच्छे कर्म करो ताकि आगे अच्छा फल मिलेगा, ये बात ही कितनी हास्यास्पद है। लोग सवाल पूछते हैं कहते हैं अगर पुनर्जन्म नहीं होता तो हम अच्छे कर्म क्यों करें? सही काम क्यों करें? अभी के लिए भाई! तुम अभी तकलीफ में हो। तुम अपने ही प्रति इतने निष्ठुर हो गए हो क्या कि तुम्हें अपनी पीड़ा अनुभव ही नहीं हो रही। तुम अभी बहुत कष्ट में हो इसलिए सही काम करो ताकि तुम्हारी पीड़ा कम हो सके। ये अगले जन्म की क्या बात कर रहे हो? या फिर कहीं ऐसा तो नहीं है तुम इतने निराश हो गए हो कि इस जन्म का तो…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org