तुम होते कौन हो जज करने वाले?

प्रश्नकर्ता: मेरा एटिट्यूड रहता है कि अगर कोई बंदा है उसमें कुछ अच्छाईयाँ हैं कुछ बुराइयाँ भी हैं; एवरीथिंग इज देअर (सब कुछ है)। तो उसके अंदर जो अच्छाइयाँ हैं उसके उस अच्छाई को बढ़ावा दिया जाए और तारीफ की जाए, जिससे उसमें सकारात्मक बदलाव हो। और ‘किसी को जज न करो’ इस विषय में मैं सोचता हूँ कि यदि कोई अपराधी भी मेरे सामने आ जाए तो मैं सोचता हूँ कि जज करने वाला मैं कौन होता हूँ, उसको बुरा कहने वाला मैं कौन होता हूँ। उसकी भी कुछ मजबूरियाँ…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org