Jul 12, 2022
तुम नहीं बंधन में हो, तुम ही बंधन हो।
तुम्हारी अपने बारे में जो सोच है, वही बंधन है।
अगर वो सोच बदल गई, तो अब बंधन बचा कहाँ?
तो जानना ही अपनेआप में काफी है और पूरा बदलाव है।
तुम नहीं बंधन में हो, तुम ही बंधन हो।
तुम्हारी अपने बारे में जो सोच है, वही बंधन है।
अगर वो सोच बदल गई, तो अब बंधन बचा कहाँ?
तो जानना ही अपनेआप में काफी है और पूरा बदलाव है।
रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org