तुम तैराक हो और जीवन एक प्रवाह, एक नदी है।

यदि तैरना आता है तो ये पानी पार निकलने में तुम्हारी सहायता करेगा।

तैरकर इसे पार कर जाओगे, दूसरे तट पर पहुँच जाओगे।

और तैरना नहीं आता तो इसी पानी, प्रवाह, नदी में डूब जाओगे।

जीवन न अच्छा है, न बुरा। बात ये है कि तैरना आता है कि नहीं।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org