Aug 28, 2022
तुम्हारे भीतर सौ खामियाँ हों, तुम्हें एक-सौ-एक पता होनी चाहिए
पर उन खामियों से दबकर , हारकर, अपने-आपको गिरा हुआ नहीं मान लेना है। बिल्कुल भी नहीं !
साफ़ देखना है कि तुम कितने गिरे हुए हो, और फिर मुट्ठी भींच कर, हँस कर कहना है,
“पतन मैंने जी लिया परमात्मा मेरा बाकी है।”