तुम्हारे भीतर जो चेतना बैठी है, उसकी क्या कीमत है?

एक आदमी आत्महत्या करने जा रहा था। “मेरे साथ तो बहुत गलत हो गया है, ज़िन्दगी में धोखे-ही-धोखे मिले हैं, और बनाने वाले ने चुन-चुन के अन्याय किए हैं।” तो एक संत ने उसको देखा कि यह जा रहा है आत्महत्या करने। पहले तो उसको रोका, कुछ वचन दिए कि तू समझ, वह आदमी नहीं समझा। उसने कहा, “नहीं, ज़िन्दगी ने मुझे सिर्फ दुःख दिए हैं और मैं ऐसी ज़िन्दगी को ख़त्म करके रहूँगा।” संत ने कहा, “ठीक”। संत वापस आया, उसने अपने एक…

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रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org